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Thursday, July 6, 2017

श्री राम केवट संवाद


प्रेम भक्ति की अजब कहानी, गंगा तट पर है मिल जानी|
एक ओर सियराम लखन हैं, एक ओर है बहता पानी||
ये कैसी लीला रघुनन्दन,
दुनिया करती जिनका वन्दन |
जो भवसागर से जग तारें,
वे केवट की राह निहारे|
महिमा जाय न जात बखानी, अधरों पर है मीठी बानी||1||
केवट कहें रुको प्रभु मोरे,
माया भरे चरण हैं तोरे |
पावन यह जीवन तो कर लूं |
चरणों का अमृत तो भर लूं |
ऐसी घड़ी न फिर से ना आनी, नयनों में न नीर समानी||2||
केवट सबको पार उतारे,
अपने तीनों लोक संवारे|
प्रभु तब उन्हें मुद्रिका दीन्हे,
भक्त कहें हम तुमको चीन्हें|
जिनकी महिमा सिन्धु समानी, उन चरणों में जगह बनानी||३||

--दीपक श्रीवास्तव

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