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Thursday, July 6, 2017

श्रीराम द्वारा शबरी को नवधा भक्ति का सन्देश

नवधा भक्ति सुनो हे माते, जो धारे उत्तम गति पाते ||

प्रथम भक्ति संतों का संग,
दूजी प्रिय हरि कथा प्रसंग |
भक्ति तृतीया गर्व रहित हो,
गुरु सेवा में प्रेम सहित हो |
चौथी छोड़ कपट अभिमान,
हरि गुण वन्दन, हरि गुणगान |
पंचम हरि में दृढ़ विश्वास,
हरि का भजन हरी की आस |
षष्टम भक्ति शील वैराग्य,
धर्म –कर्म से जागे भाग्य |
सप्तम भक्ति रहें समभाव,
हरि से ऊंचा संत स्वभाव |
अष्टम भक्ति लाभ संतोष,
कभी नहीं देखें परदोष |
नवम भक्ति हैं सहज सरलता,
कपटहीन मन बड़ी विरलता |
ऐसे मनुज मुझे अति भाते, जो धारे उत्तम गति पाते ||

--दीपक श्रीवास्तव

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