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Friday, September 6, 2013

कैसे सत्य सुनायें

कैसे सत्य सुनायें साथी, चारों ओर दिखावा है|
सौ सौ झूठी बातों पर भी सच्चाई का दावा है||

दुनिया का विस्तार हुआ है,
धन का तो अम्बार हुआ है|
छोटी छोटी बातों में भी,
अपना ही व्यापार हुआ है|
शिक्षा की तो बात न पूछो,
उसमे बहुत छलावा है||
सौ सौ झूठी बातों पर भी सच्चाई का दावा है||१||

चल रहे हैं, जल रहे है,
किस भंवर में पल रहे है|
लक्ष्य क्या है? भ्रांतियां हैं,
भ्रांतियों में गल रहे है|
अन्तर में पशुता ही देखी,
जीवन एक दिखावा है||
सौ सौ झूठी बातों पर भी सच्चाई का दावा है||२||

बहुत चले हैं अब तक जग में,
मगर नहीं कुछ आस दिखी|
अब तक तो सबकी आँखों में,
भूख दिखी है, प्यास दिखी|
जहाँ प्यार की उम्मीदें थीं,
वहां द्वेष का लावा है||
सौ सौ झूठी बातों पर भी सच्चाई का दावा है||३||

–दीपक श्रीवास्तव

Wednesday, September 4, 2013

अपने को पहचानो तो

मन की अपने मानो तो|
अपने को पहचानो तो||

जो दुनिया में आये हो,
विघ्नों से लड़ना होगा|
अगर शिखर को पाना है,
तूफां में अड़ना होगा|
जग से लड़कर क्या होगा,
खुद से ही लड़ना होगा|
मन में अपने ठानो तो|
अपने को पहचानो तो||१||

चाहे हों संघर्ष बड़े,
मन को बांधे खड़े रहो|
राह नहीं तो राह गढ़ो,
लेकिन हरदम लड़े रहो|
जीत अभी मिल जायेगी,
इसी भरोसे अड़े रहो|
मन में अपने ठानो तो|
अपने को पहचानो तो||२||

--दीपक श्रीवास्तव