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Wednesday, July 26, 2017

श्रीराम अवतार

नाचे झूमे धरती सारी, खुशियाँ भई अपार ।
दशरथ घर गूंजे किलकारी, प्रकटे पालनहार ॥

श्याम सलोना रूप निहारे।
मातायें तन मन सब वारे ।
ऋषि मुनि संत दरस को आये ।
सब खुद को बंधन मे पाये ।
प्रभु अनन्त शिशु रूप धरे, जग देखे बारम्बार ॥1॥

तभी चतुर्भुज रूप दिखाया ।
जिसमें सारा जगत समाया ।
कौशल्या ममता की मारी ।
हाथ जोड़ बोली बेचारी ।
कैसे अपनी ममता वारुं, तुम अनन्त संसार ॥2॥

तब शिशु का लेकर आकार ।
माँ की गोद किये साकार ।
पर माता की याद भुला दी ।
अपनी ही माया फैला दी ।
सुर नर मुनि जन इस चरित्र को गायें बारम्बार ॥3॥

-दीपक श्रीवास्तव 

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