जिस हृदय सदा सियराम बसे ।
जिस देह राम सिन्दूर लसे ॥
हनुमत की प्रभुता है विचित्र ।
है रोम-रोम मे राम चित्र ॥
जो चिर विशुद्ध विज्ञान नाम ।
उन राम-धाम को है प्रणाम ॥
- दीपक श्रीवास्तव
जिस देह राम सिन्दूर लसे ॥
हनुमत की प्रभुता है विचित्र ।
है रोम-रोम मे राम चित्र ॥
जो चिर विशुद्ध विज्ञान नाम ।
उन राम-धाम को है प्रणाम ॥
- दीपक श्रीवास्तव
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