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Wednesday, September 25, 2019

--- ॐ नमः शिवाय: भगवान् शिव जी की अलौकिक अनुभूति ---

इस वर्ष का सावन मेरे लिए अत्यन्त अलौकिक अनुभव लेकर आया था। सावन प्रारम्भ होने के प्रथम शनिवार को मन बेचैन था तथा बार-बार शिव जी के दर्शन की इच्छा हो रही थी। मुझे पता भी नहीं था कि सावन प्रारम्भ हो गया है। कई मित्रों से मैंने शिवजी के दर्शन हेतु साथ चलने का निवेदन किया परन्तु अधिकांश मित्र व्यस्त थे। मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिय मित्र सचिन ने साथ चलना स्वीकार किया। हम दोनों ने अपने बच्चों को लेकर रावण जन्मभूमि स्थित पुलत्स्य मुनि द्वारा स्थापित शिवलिंग के दर्शन किये। उस दिन शाम को मेरे मुख से शब्द तक ठीक से नहीं निकल रहे थे। अगले दिन संस्कार भारती के कार्यक्रम में जाना था जहाँ जाने के बावजूद कार्यक्रम में उपस्थित होने की इच्छा नहीं हुई। इसके स्थान पर श्री अरविन्द भवन में आदरणीय श्री अरुण नायक सर के साथ उनके केदारनाथ धाम की अलौकिक यात्रा पर घंटो बात हुई तथा ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वयं ही इस यात्रा में मानसिक रूप से उपस्थित हो गया हूँ।

सावन माह में बुधवार दिनांक २४ जुलाई को प्रातःकाल मन में एक अलौकिक अनुभूति हो रही थी तथा उसी अनुभूति के दौरान अंदर से शब्द फूट रहे थे। ईश्वर साक्षी हैं है ये शब्द बिना प्रयास के ही स्वतः स्फुटित हो रहे थे तथा तीन छंदों का सृजन हुआ। अगले दिन शिव-कृपा से चार छंदों का निर्माण हुआ तथा शिव-स्तुति बन गई किन्तु पूरे श्रावण मास में इसे गाने की धुन समझ नहीं आई। एक रविवार को इसकी पांच प्रतियों को श्री दूधेश्वर नाथ शिवलिंग तथा रावण जन्मभूमि स्थित पुलत्स्य मुनि द्वारा स्थापित शिवलिंग पर अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बिसरख स्थित शिवलिंग पर केवल एक लोटा जल चढाने के बाद इसका पाठ करने के बाद मुझे उस सुगन्ध की अनुभूति हुई जो वाराणसी स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सदा विद्यमान रहती है। आँखे खोलने पर वहां वही चढ़ाया हुआ जल था तथा और कुछ भी नहीं था परन्तु सुगन्ध विद्यमान थी।

सावन समाप्त होने के बाद प्रथम सोमवार को पूजा करने के दौरान स्वतः ही इसकी धुन निकल आई। मेरे जीवन में इस प्रकार का प्रथम अनुभव था। इस स्तुति को आपके समक्ष रख रहा हूँ कृपया भक्ति पूर्वक ग्रहण करें।

- दीपक श्रीवास्तव

https://www.youtube.com/watch?v=9ymPT8iVWTw

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