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Thursday, October 3, 2019

मन में तुम्ही हो माता

मन में तुम्ही हो माता,
जीवन शक्ति प्रदाता।।

सब देवों की शक्ति तुममें,
मिलकर संग निवास करे। 
सारे जग में व्याप्त तुम्ही हो,
सृष्टि तुम्हीं में वास करे। 
तेरे अनुपम बल-प्रभाव की,
कोई थाह न पाता। 
जीवन शक्ति प्रदाता।।1।।

शेषनाग भी सहस्र मुखों से,
तेरे वर्णन में सकुचायें। 
बह्मा औ शिव महा-तपस्वी,
श्रद्धापूर्वक तुमको गायें। 
हे अम्बे, हे महा-चण्डिके,
तुम्ही दिवस तुम राता। 
जीवन शक्ति प्रदाता।।2।।

तुम घर-घर में लक्ष्मीरूपा,
तुम ही माँ दारिद्रस्वरूपा। 
तुम्ही प्राणियों की बुद्धि हो,
तुम्ही जगत में लज्जा-रूपा। 
हाथ जोड़कर नमन करूँ मैं,
पालक तुम्ही विधाता। 
जीवन शक्ति प्रदाता।।3।।

हे देवी, हे अचिन्त्यरूपा,
हे शक्ति, हे प्राण-स्वरूपा।
तुममें सत-रज-तम गुण बसते,
गुण विमुक्त तुम ज्योति-स्वरूपा। 
तेरे गुण गाने को माता,
जीवन कम पड़ जाता। 
जीवन शक्ति प्रदाता।।4।।

तुम्ही भक्ति हो, तुम्ही आसरा,
तुम अपरा माँ तुम्ही हो परा।
जगत तुम्हारा अंशभूत है,
माँ तुमसे ही गगन औ धरा। 
तुम स्वाहा जिससे हर प्राणी,
पल में तृप्ति पाता। 
जीवन शक्ति प्रदाता।।5।।

माता तुम ही महाव्रता हो,
तुम्ही जितेन्द्रिय महातपा हो।
पितरों की तृप्ति हो जाती,
इसीलिए तुम स्वधा कहाती।
मुनिजन-साधक तुमको ध्यावें,
मोक्ष-मुक्ति की दाता ।
जीवन शक्ति प्रदाता।।6।।

शब्दों का आधार तुम्हीं हो,
यजुर्-साम-ऋग्वेद तुम्ही हो।
तुम्हीं त्रयी हो तुम्ही भगवती,
तुम्ही वार्ता, तुम्ही सती हो।
तुम्ही ज्ञान माँ तुम ही विद्या,
कर्म तुम्ही फलदाता।
जीवन शक्ति प्रदाता।।7।।

समझ सके तत्वों का सार,
तुम वह मेधाशक्ति अपार।
भवसागर से पार उतारे,
उस नौका का तुम्ही अधार।
मोहमुक्त आसक्तिमुक्त हो,
तुम ही गौरी माता।
जीवन शक्ति प्रदाता।।8।।

मैं मूरख तुमसे अनजान,
घेरे हैं दुःख-दर्द तमाम।
तेरी महिमा कैसे गाउँ,
भरा हुआ मन में अज्ञान।
मुझको अपनी शरण लगा लो,
आदि-शक्ति हे माता।
जीवन शक्ति प्रदाता।।9।।

- दीपक श्रीवास्तव  

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