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Monday, February 10, 2020

सन्तुलन ही जीवन एवं समाज का आधार है

श्री अरविन्द सोसाइटी द्वारा आयोजित तन-मन-मानस कार्यक्रम का अन्तिम सत्र सामाजिक जीवन की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी रहा। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि सृष्टि में सन्तुलन ही जीवन एवं समाज का आधार है। श्रीरामचरितमानस की रचना के समय भारतीय समाज वैष्णव एवं शैव में बंटा हुआ था। ऐसे समय में श्रीरामचरितमानस द्वारा श्री शिव को गुरु मानते हुए श्री विष्णु के  चरित्र का चिंतन सामाजिक सन्तुलन का सबसे बड़ा उदाहरण है।

कार्यक्रम में सीता की खोज का उदाहरण लेकर जीवन लक्ष्य की प्राप्ति के तरीकों एवं उसके परिणाम की अद्भुत व्याख्या ने लोगों को अपने जीवन में झांकने को विवश कर दिया। एक ओर जहां सारे वानर सीता की खोज में निरन्तर लगे हुए हैं वहीं समुद्र उस बाधा का प्रतीक है जहां मनुष्य की अक्षमता उसे विवश कर देती है। अतः जीवन मे तप श्री हनुमान जी जैसा हो जो समुद्र रूपी बाधा को पार करने की क्षमता प्रदान करे अन्यथा श्रद्धा के साथ प्रतीक्षा करें। जब अज्ञान एवं भ्रम रूपी असुर मिट जाते हैं तब लक्ष्य रूपी सीता के दर्शन प्रत्येक प्रतीक्षारत व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।

कार्यक्रम में दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि विद्यार्थियों के जीवन मे श्री हनुमानजी के समुद्र यात्रा के माध्यम से तीन प्रकार के संघर्षों हैं जो मार्ग में मिलने वाली राक्षसियों का रूप हैं। तीनों का वध न करते हुए सुरसा का सम्मान, सिंहिका का वध एवं लंकिनी को मुठिका मारने के पीछे इन्ही संघर्षों से जूझने का आदर्श उदाहरण स्थापित है।

कार्यक्रम में लंका दहन की अर्धनारीश्वर शिवलीला के रूप में अलौकिक व्याख्या हुई तथा रावण के चरित्र द्वारा यह भी बताया गया कि मनुष्य में ज्ञान होने में बावजूद उसमें अहंकार का प्रारम्भ कैसे होता है जो उसे पतन की ओर ले जाता है। जीवन में अहंकार पर विजय प्राप्त करने के लिए रावण के चरित्र का चिन्तन आवश्यक है।

कार्यक्रम में श्रीमती मीना गुप्ता ने अपने मधुर कंठ से श्री राम स्तुति का गायन करके कार्यक्रम को अलौकिक ऊंचाई प्रदान की। 

दिल्ली से पधारी श्रीमती नीता सक्सेना ने सीता चरित्र के उदाहरण द्वारा वर्तमान समाज में नारियों के योगदान एवं उत्तरदायित्व पर महत्वपूर्ण बातें रखीं।

गाजियाबाद से पधारे भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबन्धक श्री दुष्यन्त सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में इस प्रकार के कार्यक्रमों की समाज को अति आवश्यकता है तथा इसमें लोगों की भागीदारी बढ़नी चाहिए। 

कार्यक्रम के अन्त में श्री के सी श्रीवास्तव जी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में शैली शर्मा समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

प्रमुख वक्ता दीपक श्रीवास्तव द्वारा शिव-विष्णु संतुलन की अद्भुत व्याख्या
https://youtu.be/WqpfC4tftmw

श्रीमती मीना गुप्ता द्वारा श्रीराम भक्ति में सराबोर अलौकिक गायन
https://youtu.be/0ds4xnGr6mA

श्रीमती नीता सक्सेना द्वारा स्त्रियों के सामाजिक दायित्व पर उद्बोधन
https://youtu.be/ZGjHZWsB3Ak

भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक श्री दुष्यंत सिंह द्वारा तन-मन-मानस की सामाजिक उपयोगिता पर उद्बोधन
https://youtu.be/cMVbArD5Ax4

श्री के सी श्रीवास्तव द्वारा अतिथियों का सम्मान एवं आभार

  1. https://youtu.be/1GM88eZB4bg

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