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Sunday, February 9, 2020

भारत का अपमान न भूलें

प्रबल भले हो जाएं अंधेरे,
दूर दूर ना दिखें सवेरे,
भारत का अपमान न भूलें,
निज का अनुसंधान न भूलें।

बढ़ती जाए भले वेदना,
उतनी होती सघन चेतना।
जब संकट मंडराता है,
राष्ट्रवाद गहराता है।
माना शत्रु प्रबल है लेकिन,
अपने बल का मान न भूलें।
भारत का अपमान न भूलें,
निज का अनुसंधान न भूलें।।1।।

भ्रमित सत्य बतलाने वालों,
कान खोल उदघोष सुनो।
जाग्रत राष्ट्रप्रेम में डूबी,
जनता का जयघोष सुनो।
प्रेम सुधा छलकाते-गाते,
धूर्तों की पहचान न भूलें।
भारत का अपमान न भूलें,
निज का अनुसंधान न भूलें।।2।।

एक पक्ष का भाईचारा,
भला कहाँ चल पाएगा।
राष्ट्र विभाजन करने वालों,
से क्या प्रेम निभाएगा?
अब पीड़ा भी बिलख रही है,
भारत माँ की आन न भूलें।
भारत का अपमान न भूलें,
निज का अनुसंधान न भूलें।।3।।

तलवारों के आगे जो जन,
अपना गर्व भुला बैठे।
भ्रम में आज उन्हीं के बच्चे,
अपना राष्ट्र जला बैठे।
शत्रु के गुण गाते-गाते,
पुरखों का अपमान न भूलें।
भारत का अपमान न भूलें,
निज का अनुसंधान न भूलें।।4।।

- दीपक श्रीवास्तव

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