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Tuesday, March 27, 2018

----शिवोहम----

आंखें आन्तरिक सुन्दरता देखने में सक्षम हैं क्योंकि व्यक्ति को तीन नेत्रों का वरदान प्राप्त है ।  शिव के त्रिनेत्र का भी यही स्वरूप है ।  तब तक पूर्णता नहीं है जब तक केवल बाह्य अथवा आंतरिक नेत्र खुले हैं ।  जब तक बाहर की दो आँखें बंद है तब तक भौतिकता का सुख नहीं और जब तक आंतरिक नेत्र बंद हैं तब तक शांति नहीं ।  इन दोनों का सन्तुलन ही आनंद है ।

सर्वजगत शिवरूप ही है ।  त्रिनेत्र, त्रिशूल, त्रिलोक उन्ही के हैं । 
शिवोहम का भाव मनुष्य को प्रत्येक विकार, सुख दुख , राग अनुराग इत्यादि से मुक्त करके उसकी आंतरिक सत्ता को स्वयं से जोड़ता है ।


-दीपक श्रीवास्तव

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