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Thursday, March 8, 2018

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

---अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष ---

कुछ बातें बड़ी प्रचलित हैं जैसे समानता का अधिकार, पुरुषवादी विचारधारा, महिला दिवस इत्यादि इत्यादि ....

जब ईश्वर ने सृष्टि की रचना करते समय मनुष्य समेत अन्य जीवों के भी दो प्रमुख स्वरूपों में कोई भेद नही किया तो हमने आज के युग में इतना भेद कैसे उत्पन्न कर दिया ? 

यदि हम कहते हैं - समानता का अधिकार - इसी में परोक्ष रूप से हम मान लेते हैं कि कही कोई असमानता है जो वास्तव में है नही लेकिन यह हमारी छोटी एवम् कुंठित सोच को प्रदर्शित तो कर ही देता है ।  आज महिला दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है - क्योंकि हमने समाज, परिवार तथा देश की इस महत्वपूर्ण नींव को कमजोर मान लिया है तथा उसे सहारा देने, आगे बढ़ाने, सशक्तीकरण या समानता का अधिकार जैसे चमत्कारी शब्दों के माध्यम से अपनी मानसिक बीमारी को छिपाने प्रयास किया है।

नारी कमजोर नही है-कमजोर है हमारी सोच, बीमार है मानसिकता, भ्रष्ट है हमारा विवेक, भ्रमित है हमारा समाज ।  नारी के सम्मान की रक्षा से अधिक आज की जरूरत स्वयं के सम्मान की । जब व्यक्ति स्वयं का समुचित सम्मान करना सीख लेता है जिसमे शरीर, मन तथा आत्मा सबका सम्मान समाहित हो तो उसकी बुद्धि किसी भी परिस्थिति में विकृत नही हो सकती ।  ऐसी स्थिति में नारी, शिशु अथवा किसी भी अन्य सामजिक अंग के लिये अलग से किसी अधिकार अथवा देखरेख की आवश्यकता नही होगी तथा सामाजिक एवम् ढांचा भी सशक्त एवम् अखण्ड होगा । 

अतः अंत में यही कहूंगा कि पुरुष तथा स्त्री दोनों ही विशिष्ट हैं अतः दोनों को मिलकर ही सामाजिक एवम् पारिवारिक आधार को सबल बनाना है ।

- दीपक श्रीवास्तव 

1 comment:

Krish said...

Very well written