सांच तिहारो नाम ओ दाता,
जग झूठा ये झूठा नाता!!
सुंदर तन पर रीझ न प्राणी,
धन वैभव मिथ्या अभिमानी.
भज ले प्रभु का नाम ही सांचा,
जग झूठा ये झूठा नाता!!
पल में आशा बने निराशा,
निकट सरोवर फ़िर भी प्यासा.
मिटे कभी न लोभ पिपासा,
जग झूठा ये झूठा नाता!!
कंचन काया साथ न जाए,
क्यों बंधन में फंसता जाए.
नाम प्रभु का ही संग जाता,
जग झूठा ये झूठा नाता!!
--दीपक श्रीवास्तव
2 comments:
great sir...u r as usual as ur college times..congrats 4 ur new writing..
Hey man Deepak...nice one dude....actually every one know the reality of life but only a poat can better imagine it and can remind to all in better way.....so ...i want some more...
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