मुरलिया बाजे जमुना तीर!
दरस दो श्याम, भयो मन अधीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!
रोम रोम ये श्याम पुकारे,
तुम बिन जीवन कौन उबारे.
स्वीकारो जसुमति के प्यारे
सही न जाए पीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!
भक्तों के वत्सल गोपाला,
गिरधर नागर, मुरली वाला.
जीवन तुम्हरे बिन नंदलाला,
ज्यूँ नदिया बिन नीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!
--दीपक श्रीवास्तव
1 comment:
i think this wud be one of the best writings of urs..dnt u..
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