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Friday, November 27, 2009

Muralia Baaje Jamuna teer

मुरलिया बाजे जमुना तीर!
दरस दो श्याम, भयो मन अधीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!

रोम रोम ये श्याम पुकारे,
तुम बिन जीवन कौन उबारे.
स्वीकारो जसुमति के प्यारे
सही न जाए पीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!

भक्तों के वत्सल गोपाला,
गिरधर नागर, मुरली वाला.
जीवन तुम्हरे बिन नंदलाला,
ज्यूँ नदिया बिन नीर!!
मुरलिया बाजे जमुना तीर!!!


--दीपक श्रीवास्तव

1 comment:

Unknown said...

i think this wud be one of the best writings of urs..dnt u..