आज बाज़ार से लौटकर घर आ रहा था तभी पीछे से एक बहुत पुरानी जानी पहचानी सी आवाज़ सुनाई पड़ी - राम राम भाई साहब! ! मैं चौंक गया क्योंकि इस प्रकार की मिठास ली हुई राम राम अरसे बाद सुन रहा था । आवाज एक मुस्लिम नाई की थी जिसके सैलून में मैं अपने प्रारम्भिक संघर्ष दिनों में जाया करता था । दुआ सलाम के साथ साथ उसने यह भी बताया कि वह मेरे गाये हुए भजनों को भी सुनता है तथा अपने परिवार को भी उनसे जोड़कर रखता है ।
राम के नाम पर हिंसा, गाली गलौच, या अन्य कुकृत्य करने वालों से पूछना चाहता हूं कि क्या कभी राम को समझने की कोशिश भी की है या बस किसी ने भड़काया और सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में दूसरों को कोसना शुरू कर दिया चाहे वह जाति के नाम पर हो या धर्म के नाम पर ।
गंदी और ओछी राजनीति का अंत अब बहुत जरूरी है क्योंकि अब हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं । कभी वायु प्रदूषण, कभी जल प्रदूषण तो कभी मानसिक प्रदूषण । क्या यही जीवन हमारे और हमारे बच्चों के भाग्य में है । बोतलों का पानी पियो, मास्क लगाकर बाहर निकलो और कुछ भी बोलने पर जान का खतरा । क्या स्वस्थ और सुसंस्कृत समाज की रचना हमारे द्वारा हो रही है । शायद हमें ऐसे ही जीने की आदत पड़ती जा रही है ।
- दीपक श्रीवास्तव
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