राजा रानी दोनों तरसे |
पुत्र न जन्मे, बीते अरसे ||
यज्ञ पुत्र कामेष्टि कराया |
अग्नि देव ने रूप दिखाया ||
देव कहें चिन्तित क्यों राजे |
खुले ख़ुशी के सब दरवाजे ||
खीर पात्र राजन को दीन्ही |
सादर दशरथ कर में लीन्ही ||
अग्निदेव मृदु वचन सुनाये |
राजा-रानी के मन भाये ||
कौशल्या का आधा हिस्सा |
आधा कैकेयी का हिस्सा ||
दोनों ने इक भाग निकाला |
रानी सुमित्रा को दे डाला ||
-दीपक श्रीवास्तव
पुत्र न जन्मे, बीते अरसे ||
यज्ञ पुत्र कामेष्टि कराया |
अग्नि देव ने रूप दिखाया ||
देव कहें चिन्तित क्यों राजे |
खुले ख़ुशी के सब दरवाजे ||
खीर पात्र राजन को दीन्ही |
सादर दशरथ कर में लीन्ही ||
अग्निदेव मृदु वचन सुनाये |
राजा-रानी के मन भाये ||
कौशल्या का आधा हिस्सा |
आधा कैकेयी का हिस्सा ||
दोनों ने इक भाग निकाला |
रानी सुमित्रा को दे डाला ||
-दीपक श्रीवास्तव
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