आत्मा एक स्वतंत्र सत्ता है जिसका संघर्ष, प्रयास एवं गति स्वयं के हित के लिये होता है । यह एक बालक के समान है जिसका प्रयास जीवन में कुछ ऐसा करने का है जिससे उसका भविष्य सुन्दर हो।
महात्मा वह सत्ता है, जिसका संघर्ष स्वयं के साथ साथ दूसरे मनुष्यों के हित के लिये है । यह एक विवाहित पुरुष या स्त्री के समान है जिसे स्वयं के साथ साथ अपने साथी के बेहतर भविष्य हेतु प्रयास करना है ।
परमात्मा वह सत्ता है जिसका सतत संघर्ष स्वयं द्वारा निर्मित कृतियों को बेहतर बनाने हेतु होता है । उसे अपनी चिंता नहीं होती । यह माता-पिता के समान है जिनका हर प्रयास अपने बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये है ।
बड़ी विडम्बना है कि वर्तमान समाज में हम स्वयं के हित से ऊपर उठकर नहीं सोच पा रहे हैं और यात्रा जो आत्मा से परमात्मा तक की होनी चाहिये वह आत्मा पर ही समाप्त हो जाती है।
आइये मिलकर एक बेहतर समाज की रचना करें और अपने अन्दर बसे परमात्मा तत्व को महसूस करें ।
- दीपक श्रीवास्तव
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